Saturday, January 1, 2011

रेल गाड़ियां बन रही हैं सामाजिक संचार का जरिया

- अनिल गुलाटी
हम में से ज्यादातर लोगों ने छुक-छुक गाड़ी यानी ट्रेन को यात्रा के लिए ही इस्तेमाल किया होगा। पर अब इसका इस्तेमाल सामाजिक मुद्दों को लोगों तक पहुंचाने के लिए भी किया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि रेलगाड़ी के माध्यम से जानकारी प्रदान करना एक नई अवधारणा है पर इतना तो जरूर है कि पिछले वर्ष इसकी संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

गत वर्ष की आखिरी तिमाही में तीन 'इंफो-ट्रेन' को चलाया गया। दिलचस्प है कि ये तीनों रेलगाड़ियां अलग-अलग मुद्दों पर जानकारी देती हैं। वर्ष 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य पर 11 डिब्बों वाले 'आजादी एक्सप्रेस' को चलाया गया। भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों की जानकारी देने वाली वस्तुओं की प्रदर्शनी इस रेलगाड़ी में लगाई गई है। यह रेल देश भर के 70 स्टेशनों से होकर गुजरेगी।

वहीं इसी तरह की एक दूसरी ट्रेन 'साइंस एक्सप्रेस' अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारी, ब्लैक होल, आकाशगंगा, जैवतकनीक की जानकारी उपलब्ध कराती है। इस रेलगाड़ी को भारत सरकार के रेल मंत्रालय, विज्ञान एवं तकनीक विभाग और 'विक्रम ए साराभाई कम्युनिटी साइंस सेंटर' के सम्मिलित प्रयास से चलाया जा रहा है।

रेलगाड़ी के माध्यम से एचआईवी एड्स की जानकारी देने के लिए भी कदम उठाया गया है। सरकार 'रेड रिबन एक्सप्रेस' नामक ट्रेन चला रही है जो इस विषय में जानकारी मुहैया कराती है। जानकारी उपलब्ध कराने के इस अनोखे तरीके से युवाओं में खासा जोश है। यह अपने आप में एक अनोखी प्रक्रिया है जिसमें कुछ सीखने के लिए आपको रेलवे स्टेशन का रुख करना पड़ता है और रेलगाड़ी के भीतर जाना पड़ता है। लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कई बार रेलवे स्टेशन पर इन रेलों के सामने विषय से संबंधित गतिविधियां भी आयोजित की जातीं हैं।

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